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गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

रचनाकार :- आ टी. के. पांडेय जी 🏆🥇🏆

आम आदमी

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लेखन द्वारा टी के पांडेय
दिल्ली
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कलम को समर्पित
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आम आदमी का क्या कीमत, दर दर ठोकर खाता जाता। 
इधर, चपाता लगा रहा है, उधर चपाता और लगाता। 

शेष हाथ खाली खाली है, मन की वह मुश्कान कहाँ है
आम आदमी हूँ मै साहब, मेरा वह पहचान कहाँ है। 

सड़कों के झोपड़ पट्टी में, सदियों से मैं रहता आया। 
आम आदमी हूँ, मै भाई । 
झूठे वादों से नहलाया। 

दर्द ,व्यथा ,वेदना सहुँ मैं, छल प्रपंच सर नहीं कहीं है। 
दो लत्ति खाता हूँ भाई, कह कर जाता जिसका जी है। 

आम आदमी की ताकत को देखा नहीं, दिखाता हूँ मैं
मैने ही सरकार बनाई, गीत ध्वनि की गाता हूँ मैं। 

आम आदमी, आह सुना क्या, ईश्वर भी आ कर बसते हैं। 
मेरी झोपड़ में आ देखो, आम लीची कितने ससते हैं। 

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त्रिपुरारी
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रचनाकार :- आ. संगीता चमोली जी

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